मुंबई। आमची मुंबई यानी हमारी मुंबई का नारा देने वाले बाला साहेब ठाकरे मुंबई के मूल निवासी नहीं है। दो पीढ़ी पहले उनके पिता नौकरी की तलाश में यहां आए थे। इसलिए ठाकरे परिवार को आजीविका की तलाश में यूपी और बिहार से मुंबई आने वाले लोगों का विरोध करने का कोई हक नहीं है।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के मुखपत्र 'राष्ट्रवादी' के इस महीने के अंक में प्रकाशित एक लेख में यह दावा किया गया है। राकांपा प्रमुख शरद पवार शिवसेना सुप्रीमो बाल ठाकरे के करीबी मित्र हैं। यह लेख मशहूर स्कालर व पुणे विश्वविद्यालय के महात्मा फुले चेयर में प्रोफेसर हरि नारके ने लिखा है।
नारके ने अपने लेख में मुंबई में प्रवासियों पर हमलों के लिए बाल ठाकरे के भतीजे और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे की आलोचना की है। नारके ने लिखा है कि राज को अपने दादा प्रबोधंकर ठाकरे [बाल ठाकरे के पिता] की आत्मकथा पढ़नी चाहिए। अपनी पढ़ाई-लिखाई मध्य प्रदेश में करने वाले प्रबोधंकर ने लिखा है कि आजीविका की तलाश में उन्होंने कई प्रदेशों के चक्कर लगाए। इससे साफ होता है कि ठाकरे मुंबई के मूल निवासी नहीं थे। आजीविका की तलाश में ही वह इस शहर में आए थे।
लेख के मुताबिक प्रबोधंकर का साहित्य 1995 में महाराष्ट्र सरकार ने प्रकाशित किया। नारके ने लिखा है कि जो लोग दो पीढ़ी पहले आजीविका की तलाश में मुंबई आए उन्हें नौकरी की तलाश में यहां आने वाले लोगों के साथ मारपीट का अधिकार किसने दे दिया।
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