Monday, June 23, 2008

ठाकरे ने कहा, हद में रहें मुंबई के सिख

मुंबई : शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे ने मुंबई के सिखों को चेतावनी दी है कि अगर वे दोबारा हिंसा को अंजाम देंगे तो शिवसेना उनपर पलटवार करेगी।

एक मॉल के बाहर डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह के बॉडीगार्ड द्वारा सिखों पर गोलियां चलाने से एक व्यक्ति की मौत से भड़के सिखों ने मुंबई में जमकर हंगामा किया। इसके चलते शुक्रवार और शनिवार को शहर के कई इलाकों में हिंसा हुई और माहौल तनावपूर्ण रहा। ठाकरे को सिखों का यह बर्ताव काफी अखरा है।

पार्टी के मुखपत्र ' सामना ' के पहले पन्ने पर कड़े शब्दों में ठाकरे ने सिखों को चेतावनी देते हुए कहा कि यह शिवसेना ही थी, जिसने इंदिरा गांधी की हत्या के बाद मुंबई में सिखों की रक्षा की।

ठाकरे ने कहा कि मुलुंड की सड़कों पर बड़ी संख्या में सिख तलवार भांजते हुए और निर्दोष लोगों पर हमला करते पाए गए। यहां तक कि महिलाओं पर भी उन्होंने वार किया। ट्रेन में सफर करने वालों को भी निशाना बनाया गया, जबकि उनकी कोई गलती नहीं थी। अखबार में ठाकरे ने लिखा कि बहुत सारी महिलाएं मुलुंड में शिवसेना शाखा पहुंचीं और इस हिंसा के खिलाफ लोकल लीडर प्रभाकर शिंदे के पास भी शिकायत की। लेकिन, शिंदे द्वारा शिकायत दर्ज कराने के बावजूद इस मामले में पुलिस किसी तरह की कार्रवाई करने में नाकामयाब रही।

ठाकरे ने कहा कि अगर सिख भूल गए हैं तो उन्हें अपने बड़े-बूढ़ों से दिल्ली में हुए दंगों के बारे में पूछना चाहिए। उन्होंने याद दिलाते हुए कहा कि अगर 1984 में मुंबई तक सिख विरोधी दंगे नहीं फैल सके तो सिर्फ शिवसेना की वजह से। उन्होंने बताया कि उस वक्त ज्ञानी जैल सिंह ने सिख समुदाय के सदस्यों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए उन्हें धन्यवाद भी दिया था, जबकि उस समय दिल्ली में उनका बुरा हाल था।

शिवसेना से जुड़े सूत्रों का कहना है कि यदि सिखों ने अब किसी तरह का हिंसात्मक रवैया अपनाया तो पार्टी के कार्यकर्ता मूक दर्शक नहीं बने बैठेंगे। सेना के एक सीनियर लीडर ने कहा, 'इस तरह निर्दोषों और महिलाओं पर तलवार भांजना, दुकानों को जबरन बंद कराना और रेलवे प्रॉपर्टी को तहस-नहस करने की उनकी हरकतों से ठाकरे और उनके बेटे उद्धव काफी नाराज हैं। अगर सिखों ने अपनी इन हरकतों को फिर से दोहराया तो हम इसका जवाब देंगे। डेरा के बॉडीगार्ड ने जो गोली चलाई वह यकीनन सही नहीं है, पर इस वजह से निर्दोष लोगों और महाराष्ट्र के पब्लिक प्रॉपर्टी को क्यों निशाना बनाया जा रहा है?'

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