Oct 04, 09:04 pm
टोक्यो। दुनिया भर में इस्लामिक कट्टरपंथ और आतंकवाद के कारण बदनाम हो रहे पाकिस्तान के प्रवासी नागरिक जापान में अपनी पहचान एक हिंदुस्तानी के रूप में कायम कर सुकून अनुभव कर रहे हैं।
जापान की राजधानी टोक्यो में एक हजार से भी ज्यादा भारतीय भोजन परोसने वाले रेस्तरां है जिनमें से 80 फीसदी से ज्यादा के मालिक कराची, इस्लामाबाद, रावलपिंडी, लाहौर या मुल्तान के रहने वाले हैं, लेकिन उनके रेस्तरां के साइनबोर्ड में भारतीय तिरंगे ध्वज बड़ी शान से उकेरे हुए दिखाई देते हैं। कुछ ही रेस्तरां के साइनबोर्डो पर पाकिस्तानी झंडा दिखता है और वह भी छोटा और हाशिए पर। इतना ही नहीं, अंदर भी दीवारों पर भारतीय ब्रांडों की बीयर, साट ड्रिंक्स एवं अन्य उत्पादों के विज्ञापन पोस्टर लगे देखे जा सकते हैं।
एक पाकिस्तानी व्यवसायी ने तो अपने करीब 50 रेस्तरां की श्रृंखला का नाम ही ग्रेट इंडिया रखा हुआ है। सिद्दीकी खाना, पोटोहार, ओल्ड देहली आदि ऐसी ही रेस्तरां श्रृंखलाओंमें से कुछ है। इन रेस्तरां में काम करने वालों में ज्यादातर पाकिस्तानी, बांग्लादेशी और नेपाली नागरिक हैं।
दिल्ली के साउथ एक्सटेंशन जैसे यहां के इलाके शिन्जूकू में पोटोहार समूह के एक रेस्तरां में काम करने वाले इस्लामाबाद के मोहम्मद सगीर और कोलकाता के शेख करीमुद्दीन भाइयों की तरह काम करते हैं और उनके रेस्तरां में अगर कभी कोई हिंदुस्तानी या पाकिस्तानी पहुंच जाए तो वे खूब खुश होकर बड़ी खातिरदारी करते हैं। सगीर से पूछा गया कि रेस्तरां का मालिक पाकिस्तानी है उसके मैनेजर की हैसियत वाले सगीर भी पाकिस्तान के हैं तो फिर रेस्तरां पर सिर्फ भारतीय झंडा और भारत का नाम क्यों, पाकिस्तान का नाम और पहचान क्यों नहीं। इस पर वह अचकचा गए और करीम का मुंह ताकने लगे, फिर कहा कि साहब हिंदुस्तान को दुनिया जानती है सलाम करती है। पाकिस्तान को कौन मानता है। वहां के हालात आप भी जानते ही होंगे। दो मिनट रुक कर वह फिर बोले आखिर हम अलग हैं कहां। सीमा बंट जाने से खान-पान रहन-सहन और बोली थोड़े ही बदल जाती है।
सगीर से पूछा गया कि क्या ऐसी उनकी निजी राय है। टोक्यो में रह रहे बाकी पाकिस्तानियों की क्या राय है। उन्होंने कहा कि न सिर्फ टोक्यो बल्कि ओसाका, नीगाई, नागासाकी आदि शहरों में भी रहने वाले पाकिस्तानियों की भी ऐसी ही सोच है। जापान में पीपुल्स टू पीपुल्स डिप्लोमेसी में सक्रिय इंडिया सेंटर फाउंडेशन के प्रमुख विभव क्रांत उपाध्याय कहते हैं कि इस तरह की विचारधारा एक देश की जनता के मन में दूसरे देश के लोगों की छवि और आपसी व्यावसायिक हितों के कारण उत्पन्न होती है। वैसे उपाध्याय इसे एक दूसरे नजरिए से भी देखते हैं। वह कहते है कि अगर प्रवासी पाकिस्तानी अपनी इसी सोच का प्रचार स्वदेश में भी करें तो पाकिस्तानियों को अपनी छवि सुधारने और पूर्वाग्रहों से मुक्त होने की प्रेरणा मिलेगी, जिससे भारत की एक बड़ी समस्या के समाधान में भी मदद मिल सकेगी।
टोक्यो की आबादी करीब पौने दो करोड़ है। यहां रोजाना करीब डेढ़ लाख जापानी नागरिक शहर के इन भारतीय रेस्तरांओं में भारतीय करी और नान का लुत्फ उठाते है। टोक्यो में तो महज दो ढ़ाई हजार भारतीय परिवार ही रहते हैं। ऐसे में भारतीय रेस्तरांओं का धन्धा जापानियों की पंसद पर टिका है। यही वजह है कि प्रवासी पाकिस्तानियों की सोच भारतीय तिरंगे के नीचे ही अपनी पहचान कायम करके तरक्की की राह ढूंढती है।
Saturday, October 4, 2008
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